Saturday, December 17, 2011

जुड़ते-जुड़ते जुड़ती है सब, कड़ियाँ-कड़ियाँ साँसों की !

" मिलने की जिद,और बिछड़ना, दोनों कैसे साथ चलें !
जब चाहूं मैं, साथ रहो तुम, और चाहूं जब दूर भले !!
जुड़ते-जुड़ते जुड़ती है सब, कड़ियाँ-कड़ियाँ साँसों की,
इनके जुड़ने से ही हमदम, रिश्तों के सब दीप जलें !! "

लाइफ इज हप्पिनेस - हमेशा खुश रहिये और ख़ुशी बांटिये !!

गुड मोर्निंग !!

Thursday, December 15, 2011

अच्छी दोस्ती का अर्थ रोज़ रोज़ बतियाना नहीं .... समय समय पर होना है !! "

एक विचार : " जैसे कार की बत्तियों से कुछ मीटर तक ही दिखाई देता है लेकिन हम उनके साथ साथ कई कई किलोमीटर का सफ़र तय कर लेते हैं ... एक शहर से दुसरे शहर .....  ऐसे ही हमारे दोस्त है ....भले वो हमारे साथ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित न  तक रहे किन्तु उनके होने का आभास और विशवास हमें एक के बाद एक सफलताओं के सोपानो पर अग्रसर रखता है !" अच्छी दोस्ती का अर्थ रोज़ रोज़ बतियाना नहीं .... समय समय पर उपस्थित होना है ,चाहे किसी रूप मैं हो , होना है !! "

गुड मोर्निंग - सुप्रभात !!

हम भी सलवट सुलझाएं ,............धीरे धीरे सो जाएँ !

" पौण्डी  की सड़कों का धुलना ,
टाटानगर की चहल पहल !
रात के सन्नाटे की उलझन,
झोपड़पट्टी , महल महल !!
स्टेशन पर भी चेहरों से अब ,
उत्साह की लाली ढलती है !
पथ सूने अब, चौराहे सुम ,
बस ,  नारंगी लौ जलती है !!
सबने अपने कोने पकडे,
हम भी सलवट सुलझाएं ,
............धीरे धीरे सो जाएँ !"

पौण्डी = पौण्डिचेरी , जहाँ आज भी सड़कों के सफाई रात के वक़्त नगर निगम करता है ! हर रोज़ सुबह सड़कें साफ़ मिलती हैं !!

Wednesday, December 14, 2011

........लिपटे फूल पलाश के !!

" आँख खुलीं तो, कल के सपने,
   मिलते आज तलाश से !
   अर्थों हैं भारी, हलके पन्ने ,
   लिपटे फूल पलाश के !!

   स्कूल की यादें, बूढा बरगद,
   दादी के मनभावन किस्से !
   कल की तृष्णा, तृप्त हुई कब,
   मिलती आज की आस से !! "

सुप्रभात - गुड मोर्निंग !!

Tuesday, December 13, 2011

परिभाषाएं भी बदलेंगी, आशाएं हों मन ही मन !!"

" कच्चे कोयले का धुआं, चापाकल की आवाजें ,
  पानी की गर्माहट मैं , अलबेली   सी    सिहरन !
  उनीदीं सी आँखों की ,  किरणों से छुप्पा छिप्पी ,
  परिभाषाएं भी बदलेंगी, आशाएं हों मन ही मन !!"

  सुप्रभात , दिवस शुभ एवं लाभदायक हो , ऐसी कामना हैं .........

    

Monday, December 12, 2011

अनुरोधों को अपनाने की कड़ियों से जुड़ते जाएँ !

   " थोड़ी थोड़ी सी यादें, ज्यादा ज्यादा भारीपन ,
   हलकी सी उमीदों संग, अनुभव लेता है जीवन !
   कल थी जो वो आज नहीं है , अंतर्मन की आवाजें ,
   विचलित से हो जाते हैं, सुलझे वो सारे संयम  !!
   अनुरोधों को स्वीकारें , कड़ियों से जुड़ते जाएँ ,
   नई सुबह में जगने को अब, धीरे धीरे सो जाएँ !! "