Wednesday, April 3, 2013

गुलमोहर से तटस्थ, शैली में !!

गुलमोहर !!

कतारों में,
पहाड़ियों पर,
झील के किनारे,
बिना सुगंध,
    मुस्कुराते हैं !
समर्पण,
खुशबु सा,
रहता है,
संबंधों में!
हम जीते है,
रहते है,
उनके साथ भी,
जो मुस्कुराते है,
गुलमोहर से,
तटस्थ,
शैली में !

                                                                --: मनीष सिंह

Tuesday, April 2, 2013

परछाईयाँ, आकार लेती हैं !

परछाईयाँ,
आकार लेती हैं,
उत्तम अवरोधों से,
प्रकाश की राह में,
उत्कृष्ट होती हुईं !

जैसे दीखती हैं,
आजकल,
नए सत्र में,
नवीन कोपलें,
गलियों में,
सड़कों पर,
मैदानों में,
बस्ता,
पानी की बोतल,
थामें, स्कूल,
जाती हुईं ,  आकार लेने को !!