" आँखों के देख लेने हो ही सच और कानो के सुन लेने भर को सत्य समझना एसा ही है जैसे कभी आप एक कालोनी या एक शहर मैं हों और वहां हो रही बारिश और तेज़ हवा से दुसरे शहर का अंदाज़ा लगा रहे हों.....! "
सोचियेगा ....हम सब जानते हुए भी एसा ही करते हैं .....!! "