Saturday, April 14, 2012

हम शनिवार को ज्यादा आनंदित रहेत हैं....रविवार की बनिस्बत....!!

                      " आनंद " जी हाँ कितना मुश्किल होता है इसे प्राप्त करना , और इसके लिए कोई विशेष विषय की आवश्यकता नहीं होती.....

         अब देखिये ना ...आज  शनिवार है और कल रविवार ....सामान्यतः ये कोई नई बात तो नहीं ...हमेशा ही शनिवार के बाद रविवार ही आता है ....इस मे क्या नया हुआ ....जो प्रफुल्लित और आनंदित होने का मन हो ....?? आइये हम कुछ वार्ता करते हैं ....!!

        हम नौकरी पेशा लोग शनिवार को रविवार से ज्यादा आनंदित रहते हैं और रविवार से ज्यादा शनिवार का इंतज़ार करते हैं.....वो इस लिए शनिवार को ऑफिस का काम भी होता रहता है और आनंद भी ये सोच कर की कल काम पर नहीं आना ....जल्दी नहीं नहाना , टाइम पर नहीं दूध लाना , दो से ज्यादा बार चाय मिलेगी सुबह सुबह ....ये सब शनिवार को नहीं होता, हाँ शनिवार के बाद मैं होता है ...रविवार को...तो ये शनिवार है तो रविवार है ...इस लिए हम शनिवार को ज्यादा आनंदित रहेत हैं....रविवार की बनिस्बत....!!

      " ये मेरे और आप की बात है ...बस आज का विषय मेरे एक नवीनतम " यात्रा मित्र " ने दिया ....बातों ही बातों मैं उन्होंने कहा ...मैं रविवार से ज्यादा शनिवार को एन्जॉय करता हूँ...आनंदित रहता हूँ...सही कहा ..मेरे और आपके मन की बात कही उन्होंने ...तो आपके मन के बात शब्दों के साथ ...आपके सामने हैं......आनंद लीजिये , प्रफुल्लित रहिये !! "

                                                    स्नेह सहित आपका अपना ही .... मनीष अवधनारायण सिंह





Friday, April 13, 2012

"गलियों- गलियों ढोल- बांसुरी, धान और गेंहूँ की सरगम ! "

"गलियों- गलियों ढोल- बांसुरी,
 धान और गेंहूँ की सरगम !.
 हरा- गुलाबी , लाल - नारंगी,
 आँगन आँगन , सब चन्दन !!
 बीहू के कुछ श्वेत पुष्प और,
 स्नेह दीये , सुख की बाती !
 रंगीले पोंगल के संग संग ,
 आओ      मनाये  बैसाखी !!"
         हार्दिक बधाईयाँ !! 

Wednesday, April 11, 2012

सब की अपनी अपनी ख्वाहिशें हैं और अपने अपने भगवान् ...!!

             " आज बारिश का सा मौसम हुआ है ...हाँ बरस भी सकते हैं ...!! संभावना है .......पार्क मैं मोटापे और शुगर से परेशान लोग घूमते हुए ज़िक्र कर रहे हैं की काश बरस जाते तो मौसम सुहाना हो जाता और घूमने का मजा कुछ और होता ....!!
            ये लोग घूमने इस लिए निकलते हैं की कुछ अनियमित खा कर शुगर और शारीर बिगड़ गया है ...और सुधार के लिए घूमना चाहते हैं .....ठंडी हवा मैं .........

           लेकिन वहीँ दूसरी और किसान दुआ करता है की कुछ दिन और मत बरसना राम जी ....अनाज सुखा पड़ा है ....काट कर घर रख लूं तो साल भर को खाने को हो जाएगा ....वरना सब बेकार....!!
            एक झोपड़ी मैं लेटी बूढी नानी अपने धेवते को देख कर बोलती है की आज कुछ कम है ताप , हे भगवान् आज मौसम ठंडा मत करो दवा के पैसे भी नहीं ...

कमाल है ...इश्वर किस तरह से देखे ये सब ....सब की अपनी अपनी ख्वाहिशें हैं और अपने अपने भगवान् ...!!