Thursday, December 1, 2011

देखता ही रह गया ....!

आज एक नारियल बेचने वाले को मैंने ज़रा गौर से देखा ... देखता ही रह गया ....!

Tuesday, November 29, 2011

कांच पे लिखी स्याही जैसा ,प्रतिपल का प्रचारित करना !

" मैं होने की अपनी शर्तें , तुम होने के ,अपने राज,
  उनकी कलियाँ धुल और मिटटी, अपने ठूंठ, सुन्दर ताज ! 
  कांच पे लिखी स्याही जैसा ,प्रतिपल  का प्रचारित करना,
  ऐसे जन स्वछन्द कहाँ है , बंधन की उनकी परवाज़ !! "
  
  

Monday, November 28, 2011

अनुमानों की कड़ियों में भी ,संभावित जुड़ जाते हैं,

" प्लेटफार्म के उद्घोषों सा, ही तो ये  जीवन है ,
होते होते होता है सब ,किन्तु सही समय पर क्या !
अनुमानों की कड़ियों में भी ,संभावित जुड़ जाते हैं,
कल की गति को कल देखेंगे ,आज चलो सो जाते हैं !!"

शुभदिवस के लिए ....शुभरात्री !!