Saturday, June 16, 2012

STORY WRITTEN BY MRIGANKK ( VASU ) my sis son ....4 yrs Old

A SHORT BUT FUNNY STORY WRITTEN BY MRIGANKK ( VASU ) my sis son ....4 yrs Old only...


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" Ek baar ek bear jangle main khel raha tha , fir use bahoot sundar flower dikhai dete hain fir wo unke pass jakar dekhta hai to wo bahoot sundar hote hain , fir bear un flowers ko smell karne lagta hai , jaise hi wo un flowers ko sunghta hai... bahoot sare keede uski nose main chipak jate hain aur use katne lag...te hain , wo chhilata hai help help, are koi to mujhe bachaoo bhai , fir wo dr. ke pass jata hai to pata hai kya hota hai, dr. bear ki jhaadu se bahoot pitai lagata hai, bahoot pitai lagata hai, maine vasu se puchha ki dr. bear ki pitai kyun lagata hai , to vasu bola ki nahi dr. bear ko thode hi maar raha tha wo to uski nose par chipke keedon ko maar raha tha , sath main bear ki bhi pitai ho gai. aur fir bear kahta hai ki aree dr. mujhe tumhari help nahi chhahiye main to bhaag raha hun yahan se " ha ha ha :) ...

Friday, June 15, 2012

.....साहब, लखनऊ भी रात में नहीं सोता !!

" पिछले दिनों में अपने पैतृक गाँव / शहर आजमगढ़ गया .... " आइये अपने कुछ अनुभव आपके साथ बांटता हूँ....यात्रा जी हाँ ये यात्रा अनोखी से कुछ कम नहीं थी ....! जिसने मेरे कुछ पुख्ता हो गए अनुभवों को फिर से बदलने को मजबूर किया , लोग मिले , शहर के शहर , खान पान , पहनावा और सहयोग भी अनोखे अनोखे ....चलिए आप भी आनंद लीजिये ....! "
   
     मेरे बड़े पिता जी के पुत्र जी का फोन आया , यानी की मेरे बड़े चहेरे भाई का फ़ोन आया , कुछ पैतृक ज़मीन है जो इतनी नहीं की सब उस पर अपना अपना कुछ कर सके और ये भी संभव नहीं की सब मिल कर कुछ कर सकें क्योंकि सहयोग नाम की चिड़िया आजकल परिवार के घोसले में नहीं रहती ....पडोसी के घर में रहती है ....वो भी उस पडोसी के जो कद में और सामाजिक प्रतिष्ठा में कुछ बड़ा हो ये सहयोग करने वाले का कुछ फायदा करा सके ....!! खैर ....ये ज़मीन कुछ हरी के जन हड़पने के लालसा लिए आने जाने वालों की तरफ लालाइत नज़रों से देखते रहते हैं ....तो ये सोचा गया है की सब लोग मिल कर इस बाप दादा की ज़मीन को किसी भद्र पुरुष के हवाले कर दें ....जो कुछ मुद्रिका हमें दे दे और काम सिद्ध हो सके ....चुकी तुम ( यानि में ) भी एक हिस्से के दावेदार हो तो तुम्हारी राय लेनें के लिए हम कानून बाध्य हैं सो आप भी अपने पुरे सही सलामत दिमाग के साथ आओ और कुछ कर जाओ ...हमें हामी भरी और कोशिश में लग गए की कुछ भारतीय रेल के सेवा ले ली जाए .....जी हाँ आप सही ही हंस रहे हैं ...जी जगह पर चार चार महीनों पहले कार्यकर्म बनाने वालों को ट्रेन टिकिट नहीं मिलता हो वहां दो दिन के शोर्ट नोटिस पर क्या मिलेगा .......!!
   हमने लोहपथगामिनी का मोह छोड़ कर आम आदमी से लगातार दूर हो रही बस से ही जाने का फैसला किया ..सीधी बस तो नहीं मिली हम लखनऊ के लिए चल ..पड़े ...बरेली , सीतापुर होते हुए ....बस कई बार ख़राब .हुई ...अखिलेश जी की वयवस्था को मुह चिढ़आते हुए ....!! जैसे तेसे लखनऊ पहुचे रात के करीब 12.30 हो रहे थे ....मुझे अचम्भा था ....कभी सुना और देखा था की मुंबई कभी नहीं सोता ....हाँ रात में कुछ घंटों के लिए लोकल ट्रेन रुक जाती है ....किन्तु लखनऊ में जाकर ये धारणा बदल गयी।...साहब,  लखनऊ भी रात में नहीं सोता !! ....चारबाग , केसरबाग और आलमबाग के आस पास के बाज़ार पूरी तरह से खुले और जगमगा रहे थे ....और ग्राहकों के चहल पहल भी उसी तरह से थे जैसे दिन रहा करती होगी।....मैंने दिन में लखनऊ कभी देखा नहीं ना।...इस लिए दावे से नहीं ख सकता ....!! वाहन हमारा हमें केसरबाग में छोड़ कर चल दिया ! अब यहाँ से हमें आजमगढ़ जाना था ...अगली बस का पता किया ...थी पर आलमबाग से ....!!
      बस मिली , हाँ हम आज़मगढ़ पहुंचे ....बस दो बार ख़राब हुई ...फैजाबाद और रानी की साराए में जैसे तेसे करीब 7 बजे हम घर पहुच गए और घर घर के लोगो को जगाया .... ! कितना अलग अनुभव होता है न जब आप खुद ना सोये और सोये हुए लोगो को जगाये ! महान होते हैं वो लोग जो खुद तो सोते हैं किन्तु औरों को जगाने में आनंद महसूस करते हैं ....!