कल्पना के सहारे कब तक जीवन चलता है ? हाँ कल्पना जीवन को सहारा देती है ....की जीवन चल सके और यथार्थ तथा कल्पना को भिन्न कर के आगे बढ़ सके.
रोज़ किस किस के liye जीते हैं और किस किस के साथ अपने जीवन को सार्थक बनाने के प्रयास करते रहते हैं.....इस बात का हमें भी कभी कभी एहसास नहीं रहता ...पर ham एसा करते हैं...जीवन बिताने के liye ...नया जीवन जीने के liye.
- मनीष
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