तुम समय के हर थपेड़े को सहन कर देखना ,
सत्य के मिथ्या के शुल्कों को वहां कर देखना !
बूढ़े तन में जब कभी सांसो की थिरकन तीव्र हो,
तुम उसी सी तीव्रता को ग्रहण कर देखना ,
बचपने के राह तकती दिख पड़ेगी ज़िन्दगी,
कुछ पलों की चाह रखती दिख पड़ेगी ज़िन्दगी.
- मनीष.
अपने लिए तो हम सब प्राकर्तिक रूप से जीते ही हैं.....आनंद तब है जब हम दूसरों के लिए अपनों सा जीवन जियें.. मुश्किल है ....पर हां आनंद देनेवाला....हां असीम आनंद ....दिव्य आनद ...कोई सीमा नहीं....!!
महसूस कीजिये कभी उस दुःख को , दर्द को जिसे कोई जी रहा है.....कुछ पल के लिए .....आनंद आएगा ....इस बात का की आप किसी और को भी सुख देने के लायक हो गए....!!
सब की कोई न कोई मजबूरी होती है....जीवन भर रहेगी भी....उसी समय में से थोडा समय किसी और को दीजिये....और प्रफुल्लित हो जाइए....
संतोष होगा , मन को ....की कुछ किया....आपने लीक से हट कर...
तीन वक़्त का खाना, हफ्ते मैं दोस्तों se दो चार बार मुलाकात, साल मैं परिवार के साथ किसी जगह की हफ्ते भर की सैर ...अपने और अपने परिवार के लिए एक भरी रकम का बिमा.....और कुछ लाख का बैंक बैलेंस परिवार के लिए उनके बुरे वाक्क्त के लिए.....ये तो सब कर ही लेते हैं भाई ...कुछ करिए एसा जो सब अमूमन नहीं करते ....दूसरों के लिए....
मेरा कोई maksad नहीं की मैं किसी को सलाह दूं....मैं तो अपने लिए ये सब लिख कर रख रहा हूँ....ताकी कभी भुलाना चाहूं तो ये याद दिलाता रहे...!!
साथ रहिये सब के साथ चलिए सब के ....सब को aage laane के लए ....सिर्फ अपने लिए नहीं ....हाँ कभी कभी एसा समय भी आता है की सिर्फ अपने लिए ही कुछ करना होता है....करिए ज़रूर ...लेकिन ज़मीन को छोड़ कर नहीं ...वापस आ जाइए वहीँ ....जहाँ सब हों......नहीं तो अकेले हो जायेंगे ....और जब सब की सखत ज़रुरत होगी ...तब कोई साथ नहीं होगा.....!
वक़्त लगेगा ...पर हो जायेगा .... एसा विश्वास है खुद पर , खुद की सोच पर....
- Manish
सत्य के मिथ्या के शुल्कों को वहां कर देखना !
बूढ़े तन में जब कभी सांसो की थिरकन तीव्र हो,
तुम उसी सी तीव्रता को ग्रहण कर देखना ,
बचपने के राह तकती दिख पड़ेगी ज़िन्दगी,
कुछ पलों की चाह रखती दिख पड़ेगी ज़िन्दगी.
- मनीष.
अपने लिए तो हम सब प्राकर्तिक रूप से जीते ही हैं.....आनंद तब है जब हम दूसरों के लिए अपनों सा जीवन जियें.. मुश्किल है ....पर हां आनंद देनेवाला....हां असीम आनंद ....दिव्य आनद ...कोई सीमा नहीं....!!
महसूस कीजिये कभी उस दुःख को , दर्द को जिसे कोई जी रहा है.....कुछ पल के लिए .....आनंद आएगा ....इस बात का की आप किसी और को भी सुख देने के लायक हो गए....!!
सब की कोई न कोई मजबूरी होती है....जीवन भर रहेगी भी....उसी समय में से थोडा समय किसी और को दीजिये....और प्रफुल्लित हो जाइए....
संतोष होगा , मन को ....की कुछ किया....आपने लीक से हट कर...
तीन वक़्त का खाना, हफ्ते मैं दोस्तों se दो चार बार मुलाकात, साल मैं परिवार के साथ किसी जगह की हफ्ते भर की सैर ...अपने और अपने परिवार के लिए एक भरी रकम का बिमा.....और कुछ लाख का बैंक बैलेंस परिवार के लिए उनके बुरे वाक्क्त के लिए.....ये तो सब कर ही लेते हैं भाई ...कुछ करिए एसा जो सब अमूमन नहीं करते ....दूसरों के लिए....
मेरा कोई maksad नहीं की मैं किसी को सलाह दूं....मैं तो अपने लिए ये सब लिख कर रख रहा हूँ....ताकी कभी भुलाना चाहूं तो ये याद दिलाता रहे...!!
साथ रहिये सब के साथ चलिए सब के ....सब को aage laane के लए ....सिर्फ अपने लिए नहीं ....हाँ कभी कभी एसा समय भी आता है की सिर्फ अपने लिए ही कुछ करना होता है....करिए ज़रूर ...लेकिन ज़मीन को छोड़ कर नहीं ...वापस आ जाइए वहीँ ....जहाँ सब हों......नहीं तो अकेले हो जायेंगे ....और जब सब की सखत ज़रुरत होगी ...तब कोई साथ नहीं होगा.....!
वक़्त लगेगा ...पर हो जायेगा .... एसा विश्वास है खुद पर , खुद की सोच पर....
- Manish
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