Thursday, April 25, 2013

दायित्त्वों का गीलापन,रिश्तों के चाक पर !!

गीली हथेलियों से,
घुमते चाक पर
आकार लेती सुराही,
जीवन चक्र की ,
कड़ियाँ जोडती है !

जैसे बचपन के 
सुगन्धित कोनो में,
दायित्त्वों का गीलापन,
रिश्तों के चाक पर,
आकार लेता है !

~~~  :: मनीष सिंह ::~~~~

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