गुलाबी फ्राक में,
फुदकती फिरती !
मेरी - आपकी
चहकती हुई,
गुडिया !
पूरा घर भर,
जीवंत रहता,
उससे संवाद,
करते हुए;
माँ से,
पिता से,
चाचु से,
चाची से,
ताई से,
ताऊ से,
बुआ से,
भैया से,
दीदी से,
मिलती जुलती,
खुशियाँ बिखेरती,
फिरती थी वो,
अनामिका !
आज चुप है !
हमारे संवादों,
की आस में ,
आइये, मौन ना रहिये !
ताकि अनामिकाएं,
मौन ना हों,
चहकती रहें,
सतत,
निर्भय, हमारे आँगन में !!
~~ :: मनीष सिंह ::~~
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