Tuesday, April 23, 2013

टहलते रहिये , मोहल्ला सब जनता है हकीकत, आपकी और हमारी !!

                रात का खाना खाया और नए अमीरों के शौक से रूबरू होने के लिए एक अन्तराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कंपनी के ट्रेक सूट को अपने बदन पर चढ़ाया और निकल पड़े दूर तारों की छाँव में , कथित सेहत बनाने को !!
              जैसे जैसे आगे बढ़ रहे थे , समझ आ रहा था की ये चलन इतना प्रसिद्ध क्यों हो गया है ! हर उम्र के भारतीय में ! जब मैं आठवीं में पढता था तो मेरे के रिश्तेदार के घर गया था ! उनकी छोटी बेटी के कान में एक आला लगा हुआ था ! मालूम करने पर पता चला की वो एक मशीन है जो कम सुनने वालों को मदद करती है , ताकि वो सामने वालों की आवाज़ सुन सकें और रेस्पोंड भी कर सकें ! ये तो थे असल बात जिसके कारण लोग आला लगते हैं !  किन्तु आपको शाम के समय टहलते समय ना जाने कितने ऐसे कम सुनने वाले मिल जाएँगे ! महंगे से महंगा मोबाइल फ़ोन हाथों में लिए , टच स्क्रीन पर उँगलियाँ फिराते हुए , जाने किस गाने की तलाश में बस उंगलियाँ फिरते रहेंगे ! ये तब अधिक हो जाता है जब उनके आस पास से कोई गुज़र रहा हो !
             घर के सामने एक पार्क है ! रोज़ हम भी वहां टहलते हैं और लोगों को टहलते हुए देखते हैं ! एक तजुर्बा है की ना जाने कितने ही व्यापारिक , सांकेतिक , पढ़ाई लिखाई , नई नौकरी , पुराने घर को नए में बदलने की , प्रेम संबंधों की , नई रिश्तेदारी की और ना जाने कितने ही विषयों पर मूर्त रूप लेने का गवाह बनता है ये टहलने का समय और पार्क और उनके उनीदें से पेड़ पौधे !
             मोहल्ले में एक घर है ! जिसके मुखिया की मृत्यु हो चुकी है ! बड़ा बेटा एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय आई टी कंपनी में काम करता है , और बंगलुरु में रहता है ! यहाँ का घर नए चलन के अनुसार पेइंग गेस्ट के रूप में एक युवक को दे रखा है ! वो भी हमारा साथी है रात मैं टहलते हुए १० बजे से ११ बजे के बीच ! अपने कानों में आला लगा कर ! शायद अपनी कंपनी के बॉस से तो बात नहीं करता होगा पुरे एक घंटे , आप समझ सकते हैं !  कई बार हमारा और उसका आमना सामना होता है ! हम दोनों उस समय मौन हो जाते हैं , सही भी है ! कमाल की चीज़ है ये आला भी ! कुछ भी बतिया लीजिये , किसी को कुछ खबर नहीं !! 
             जो बातें आप अपने नाते रिश्तेदारों के बीच नहीं कर सकते ! कर तो सकते हैं किन्तु अभी भी भारतीय होने के नाते कुछ लाज हया बाकी है ! इस लिए युवक , किशोर और दूसरी तरफ से इनके लिए युवतियां , किशोरियां भी एसा ही करती हैं ! गुफ्तगू लम्बी चलती हैं ! लोग इस समय मंदिर के पार्कों के टहलना कम पसंद करते हैं ! हाँ सड़क के किनारे , कालेज के मुख्यद्वार पर ! रेस्टरूम के बाहर ! केन्टीन के कूपन काउंटर के बाहर !  बंद हो चुके कालेज रिशेप्शन के बाहर ! अपना घर छोड़ कर किसी दुसरे के घर के बाहर खड़े हो कर !  किसी छोटे रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर , जहाँ शाम के ६ बजे के बाद कोई गाड़ी रुका नहीं करती ! आर्य समाज मदिर वाली सड़क पर ! शिवमंदिर वाली सड़क पर ! स्वयं का रहने का घर भले छोटे मोहल्ले में हो , सर्विदित हो की आप का स्तर क्या है , आप के परिवार की मासिक आय और वार्षिक आये क्या थी और क्या है ! यदि बढ़ गयी है तो किन सहारों से - जैसे देश की सरकार की कुछ नीतियों के कारण या फिर राज्य सरकार की कुछ आरक्षण नीतियों के कारण - दिखावे का उठता जीवन स्तर उसी मोहल्ले में तो सब को मालूम है , अतएव चालाकी से मनुज ऐसे ममोहल्ले कालोनी को तलाशते हैं की जहाँ उनकी असल ज़िन्दगी से सब नावाकिफ हो और जो भी मिले उन्हें जन्मजात इलीट समझे ! किन्तु लौट कर वहीँ उसी घर में तो आते हैं , उनसे ही रूबरु होते हैं जिनसे बचना चाहते हैं  , जबकि उनके ही कारण बने हैं ! 
            सेहत तो क्या बनती हैं , हाँ,  ये संतुष्टि होती है की कुछ कर लिया इस एक से डेढ़ घंटे मैं ! प्रेमी जोड़े ने अपनी बात कह ली !  चालाक लोगो ने खुद को मुर्ख बना कर दूसरों को धोखा दे लिया , ये दिखा कर की हम भी ऊंचे स्तर के लगते हैं है ...हैं नहीं !  पार्कों के कोनो पर आइसक्रीम खाना ! वो भी गर्मी के दिनों  में उन ठेलियों से जिन पर इमरजेंसी लाईट लगी हो ! बड़ी बड़ी कंपनी के आइसक्रीम के लोगो छपे हों !  दाम जो वो मांग ले !
             कुछ लोगो का  शाम को टहलना वैसा ही है जैसा की आरक्षित श्रेणी में चोरी से यात्रा करना , और कुछ लोगो के लिए शाम का टहलना वैसा है जैसे आरक्षण के सहारे उस स्तर का दिखना जिसके लायक असल में कभी होना सामान्यतः नामुमकिन हो !!                    
            आप ही बताइये स्लीपर के टिकट पर राजधानी के "एच"क्लास में सफ़र संभव है क्या ....किन्तु संभव है !
नए अपग्र्ड सिस्टम के सहारे पर नज़रूरी इंसान को ये सफ़र कितना अनकम्फर्टेबल रहता है सब जानते हैं !   वस्तुतः ये दोनों ही बातें सही हैं और बदलाव की उम्मीद फिलहाल , गैरज़रूरी !!
            टहलते रहिये , मोहल्ला सब जनता है , हकीकत के बारे मैं आपकी और हमारी !!

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