Wednesday, June 27, 2012

.... बीमित होने का दर्द ...और सुख ...!

                       एक सज्जन अपने सफ़ेद रंग के थैले में कुछ सब्जियां ले कर अपने घर की और चले जा रहे थे ....! हलके सफ़ेद बालों में सरसों का तेल लगा कर सलीके से कंघी करी हुयी थी उन्होंने ! सफ़ेद रंग का ढीला ढाला कुर्ता , उल्टे हाथ में एक जलती हुई सिगरेट ! सब्जियों में उन्होंने अपने मन पसंद की खरीदारी करी थी ......... छोटे वाले कलौंजी वाले बैंगन , कुछ पकी हुई सहजन जिसको की सरसों के पिसे मसालों में पकाया जाता है ....उनको उसको चबा चबा कर खाने में आनंद आता था , कुछ खीरे ,टमाटर, प्याज , हरी ,मिर्च  नीबू , अदरक , शलगम और भी कुछ ....!!

        खैर हम उनकी सब्जियां थोड़े ही गिन रहे थे ...में तो देख रहा था एक इंसान की रिटायर होने के बाद की ज़िन्दगी और उसमे खुशियाँ और मन बहलाने के बहाने ढूंढते हुए दिन गुजारते शारीर !!...
                   सुबह के कुछ 6 बजे नहीं की वो सज्जन अपने रोज़मर्रा के कार्य से निवृत्त हो कर के अखबार पढ़ते हुए चाय की चुस्की लेते और नाहन कर के दफ्तर के लिए निकल जाते !! संताने हैं सब के विवाह हो चुके हैं  ! अपने छोटे बेटे के साथ में आजकल रिटायर होने के बाद में रहते हैं ...! बड़े बेटे के नौकरी एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में है तो वो विदेश में रहता है ....मज़बूरी है की उनको अपने साथ नहीं रख ..सकता .! छोटा बेटा किसी निजी कम्पनी में काम करता है ...आमदनी इतनी नहीं है की खूब खुला हो कर खर्चा कर सके , किन्तु दिन ठीक ठाक कट रहे हैं ...!

                    ये सज्जन अपने बीमित होने पर दुखी भी हैं और खुश भी ...! इनके बेटों और संतानों ने इनकी देखभाल करने की तब मानी  जब इन्होने अपने बीमित होने का खुलासा ..किया .आज सब इनको अपने साथ रखना चाहते हैं , ताकि किसी अनहोनी या फिर अंतिम समय में वो जिसके भी पास रहे उसको बिमा की रकम मिल सके !! जिसकी वज़ह से इनकी खूबदखभाल हो रही है !! इनको दुःख है की संतानों ने इनके पिता या माता होने के कारण इनकी देखरेख करने की नहीं ठानी ...बल्कि बिमा के रकम की वजह से .....!!
                    भावावेश में आकर कभी कभी अपनी ये बात वो बोल भी देते हैं ....उस दिन पुरे घर में तनाव रहता है ....किन्तु शाम होते होते सब ठीक हो जाता है ....बिमा जो है .इनका ...सबको उसका लालच है ....! अपनी सलाह है ...यदि आपको लगता है की आप अपने रिटायर्मेंट के बाद भी जीवित रहेंगे और अपना जीवन यापन ठीक से करवाना चाहते हैं ....सेवा के साथ तो आपको बिमा करवाना .चाहिए ..रोटी .सब्जी ...घी लगा कर .मिलेगी ..और ,प्यार  स्नेह की बात नहीं करनी .चाहिए ...कोई किसी का नहीं ...! बस बिमा ही आपका और उसके कारन सब आपके ...!! शत प्रतिशत सही है भाई ....अब कबूतर आँख बंद कर ले तो सही बात झुठलाई तो नहीं जा सकती ना !! बिमा करवाइए और आनंद ....लीजिये !!

2 comments:

  1. बड़े भाई ने बात तो एक दम आज के दौर कही है लेकिन ऐसा क्या हुआ उस विराट हिंदू के संस्कारों को जो आज एक बीमा की राशि के सामने छोटे हो गए ! इंसान वही काट रहा है जो उसने बोया है!

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    1. भाई .....संस्कारों का विशाल सेतु सिर्फ उन दिनों में दिखाई और काम आता है जिन दिनों और समय में धन और समृधि से लबरेज़ बलखाती नदियाँ अटखेलियाँ लेती हैं मानव की ज़िन्दगी में !! किन्तु ये भी सत्य है की यदि आजकल से दौर को नज़रंदाज़ कर दिया जायेगा तो समृद्धि के उदय होते सूरज पर कमियों का ग्रहण भी लग सकता है ......!!

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