"रेल की पटरी , पुल की सड़कें , मंदिर के भगवान् जी,
निंदिया रानी चुपके चुपके घर इनके मेहमान जी !
चौराहे की जलती बत्ती, रांहें उनकी तकती है ,
कल आयंगे मन के साथी उनीदी , उड़ान जी !!
उनके संग फिर से बहने को उमीदों से हो जाएँ ,
धीरे धीरे सो जाएँ !!"
निंदिया रानी चुपके चुपके घर इनके मेहमान जी !
चौराहे की जलती बत्ती, रांहें उनकी तकती है ,
कल आयंगे मन के साथी उनीदी , उड़ान जी !!
उनके संग फिर से बहने को उमीदों से हो जाएँ ,
धीरे धीरे सो जाएँ !!"
No comments:
Post a Comment