Thursday, May 16, 2013

भावनाए, व्यापार करती हैं, समय के बाज़ार में !!

आँचल की गांठे,

सारा परिवार,
बांधे रखती हैं,
एक समय तक!

जब समय स्वयं,
घुलता हैं,
तपिश में,
संबंधों की,
तात्कालिक,
प्रतिक्रिया स्वरूप,
तब माँ ,
हार जाती है !

बंधन शाब्दिक
रह जाते है,
भावनाए,
व्यापार करती हैं,
समय के बाज़ार में !

                       ::: मनीष सिंह ::

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