Saturday, March 30, 2013

संतोष,दो किनारों पर प्रतीक्षित ही रहता है !!

कहानी से,
हो जाते हैं !
जीवन !
जो मिलते हैं,
हमसे,
आपसे,
चाहकर,
ना चाहकर भी  !
कभी कभी,
इच्छाएं
पूरी न हों,
तो भी,
दूरियां,
हो जाती है !
और कहानियां
जन्म लेती हैं ...किन्तु
संतोष,
दो किनारों पर,
प्रतीक्षित ही
रहता है !!

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