Sunday, May 20, 2012

.....खालीपन का जो सबकुछ होते हुए भी बना रहता है !!

आज रविवार है !! छुट्टी का दिन !! मैं सुबह सुबह घर में होने वाली एक पूजा के लिए गेंदे के फूलों की माला लेने के लिए बाजार गया था , ये ही कोई 9 के आस पास का वक़्त होगा ! सब्जी मंडी के बहार का रास्ता पीले पीले आमों के ठेलों से पटा हुआ था , देखने में खूब सुन्दर और सलोने आम ! कुछ ठेले लीची के भी हैं , हरी हरी पत्तियों के साथ पानी से तर बतर !!


मैं आगे बढ़ा चोपला मंदिर की ओर नगरनिगम की ईमारत के पीछे से , नवयुग मार्केट की दोनों सड़कों पर दुकाने लगनी शुरू हो गयी थीं , आज रविवार को रविवार की पैठ लगती है , सुबह के सात बजे से येही कोई शाम के सात आठ बजे तक !!

कुछ दुकानों के देख कर सामान लेने की इच्छा ना हो हर उसको बेचने वाले की अवस्था पर कुछ सोचने को मजबूर होना पड़ा ! ये दुकाने थीं , सूखे मेवे बेचने वालों की ! अखरोट , काजू , किसमिस , बादाम , पिस्ता इत्यादि !! जिनको खाने के बाद हमारी सेहत ठीक ठाक हो जाती है , कोई रोग पास नहीं आता , शारीर मैं ताकत रहती है !! आज देखा की इन सामान को बेचने वालों की सेहत बिलकुल भी अच्छी नहीं नहीं , चेहरे पर चिंता , मुह पर झुरियां , पिचके हुए गाल , लावनया का कोई निशान नहीं क्या कमी है इनके पास , इतने सरे मेवे तो हैं , जब मेवे खरीद कर बेच सकते हैं तो खुद खा क्यों नहीं सकते , जो सेहत ठीक हो जाये ! ये सब लिख तो दिया मैंने लेकिन समझ नहीं पाया असली कारण इस खालीपन का जो सबकुछ होते हुए भी बना रहता है !!

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