" तूलिकाओं से लिपटते , जोश के ,स्नेहों के रंग,
प्रेम भावों से उभरती, आस-स्नेहल की तरंग !!
मन के धागों , बंध चुकी सब , तेरी मेरी मंजिलें ,
चल चुके पग-पग बहुत, आ उड़ें अब हो पतंग !! "
मकरसंक्रांति की शुभकामनाएं !!
पोंगल की शुभकामनायें !!
बीहू शुभ हो...!!
प्रेम भावों से उभरती, आस-स्नेहल की तरंग !!
मन के धागों , बंध चुकी सब , तेरी मेरी मंजिलें ,
चल चुके पग-पग बहुत, आ उड़ें अब हो पतंग !! "
मकरसंक्रांति की शुभकामनाएं !!
पोंगल की शुभकामनायें !!
बीहू शुभ हो...!!
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