" आप से मिलना और बिछड़ना,
जैसे नींद और खवाब सा !
झूठी बातों का वो चेहरा,
जैसे , सुर्ख गुलाब सा !! "
" अच्छा हुआ की जल्दी टूटे,
झूठे रिश्ते , सच्चे स्वप्न !
संदेहों की गगरी फूटी ,
नग्न हुए सब सुन्दर छदम !!"
शुभरात्री !!
जैसे नींद और खवाब सा !
झूठी बातों का वो चेहरा,
जैसे , सुर्ख गुलाब सा !! "
" अच्छा हुआ की जल्दी टूटे,
झूठे रिश्ते , सच्चे स्वप्न !
संदेहों की गगरी फूटी ,
नग्न हुए सब सुन्दर छदम !!"
शुभरात्री !!
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